कोरोना की ऐसी मार दिल्ली सरकार के अतिथि शिक्षक हुए बेरोजगार – सब्जी बेचने से लेकर पंचर लगा रहे गेस्ट टीचर
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले गेस्ट टीचर्स के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गयी है. शिक्षकों को दो माह से दैनिक पारिश्रमिक नहीं मिलने के कारण . अब वो मजबूरी में अपना पेट पालने के लिए सब्जी का ठेला लगाने से लेकर पंक्चर लगाने तक का काम कर रहे हैं।



दिल्ली सरकार के सरकारी विद्यालयों में पिछले कई वर्षों से कार्यरत अतिथि शिक्षक आज बेरोजगार हैं केजरीवाल जी ने चुनाव के पहले सभी अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का वादा किया था लेकिन अभी तक एक भी अतिथि शिक्षक नियमित नहीं हुआ हमेशा अतिथि शिक्षक को नौकरी जाने का डर बना रहता है पीएफसी प्रमोशन और अन्य कारणों से कई अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो रहे हैं
अतिथि शिक्षकों को लॉक डाउन के दौरान 8 मई से कोई सैलरी नहीं मिल रही है। सरकार ने सभी को हटाने के आदेश भी दे दिए हैं। पिछले 2 महीने से बेरोजगार होने पर अतिथि शिक्षक मुश्किल हालात से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं कोई सब्जी की दुकान लगा रहा है तो कोई साइकिल पंचर की दुकान चलाने को मजबूर है पूरी योग्यता होने वह 8- 10 वर्षों का शिक्षण अनुभव होने के बाद भी कोरोनावायरस जैसी महामारी के समय में कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

अतिथि शिक्षकों को दैनिक वेतन के रूप में जो पारिश्रमिक मिलता है उसमें ग्रीष्मकालीन शीतकालीन तथा सरकारी अवकाश रविवार आदि का कोई वेतन सरकार के तरफ से नहीं दिया जाता है। जिस दिन वह अपने विद्यालय जाते हैं उस दिन का ही पारिश्रमिक उनको दिया जाता है पिछले 5 वर्षों से सरकार ने अतिथि शिक्षकों का वेतन ₹1 भी नहीं बढ़ाया है। सरकार को अपना वादा याद कराते हुए अतिथि शिक्षकों का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र करें क्योंकि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं। जहाँ शिक्षको को अपमानित किया जाता हो। ऐसे में भारत विश्व गुरु कैंसे हो सकता है।
ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन के सदस्य शोएब राणा का कहना है कि महामारी के ऐसे हालात में जब हर राज्य अपने कर्मचारियों को सैलरी दे रहा है, वहीं दिल्ली में हालात बदतर हैं. गेस्ट टीचर्स के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है.