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ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप को हिदायत देते हुए कहा है कि अगर आप अच्छा नहीं बोल सकते तो मुंह बंद रखें

ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख ने ट्रम्प से कहा – कीप योर माउथ शट….मिस्टर प्रेसिडेंट


संतोष कुमार सिंह, विशेष सवांददाता, वाराणसी : भारत के किसी अफसर में है इतना दम?

अमेरिका में बद से बदतर हालात के बीच ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख का एक नसीहत डोनाल्ड ट्रंप के लिए आया है ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप को हिदायत देते हुए कहा है कि अगर आप अच्छा नहीं बोल सकते तो मुंह बंद रखें , क्या किसी भारतीय पुलिस या सैन्य अफसर के भीतर इतना दम है कि वह बेलगाम हो चुके नेतृत्व को कोई हिदायत दे सके ?

ट्रम्प ने सभी प्रदर्शनकारियों को अराजक, दंगाई औऱ देशद्रोही तक बोल डाला है सभी पुलिस प्रमुखों को उन्होंने दबंगता से इस प्रदर्शन को दबाने का बोला है उन्होंने क्रूरता से सभी दंगाइयों को मारने का बोला है इसके जवाब में ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख ने कहा है कि इस समय लोगों का दिल जितना जरूरी है न कि युवाओं की जान लेना

यह सवाल तब और मौजू हो जाता है जब पुलिस बेसहारा सड़क पर घूम रहे लोगों के ऊपर जबरदस्त जुल्म की कार्यवाही कर रही है हमें समझना होगा कि भारतीय लोकतंत्र और अमेरिका के लोकतंत्र में क्या अंतर है वहां का पुलिस अपने नेतृत्व को हिदायत और सलाह दे सकता है लेकिन भारत के भीतर अपने नेतृत्व के समक्ष जवान खोलने का अर्थ है कि आप देशद्रोही इसका मतलब साफ है सत्ताधीश की गुलामी ही राष्ट्रभक्ति है

इमरजेंसी के दौर में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने कहा कि सेना के जवानों को पुलिस के जवानों को अपने ऊपर के अफसरों के असंवैधानिक आदेशों को मानने से इंकार कर देना चाहिए अमेरिका के ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख का जो बयान है उससे या प्रमाणित होता है आपके सरकारी अफसर होने का मतलब यह नहीं है कि आप मूल नागरिक नहीं है

भारत के भीतर कर्मचारियों अधिकारियों को राजनीति में हस्तक्षेप न करने का कानून अंग्रेजों के जमाने से बना हुआ है इसका मतलब साफ है कि आप तनख्वाह लीजिए और सरकार के सभी उल्टे सीधे आदेशों को लागू करते रहिए मतलब आप पर भाड़े के गुलाम हैं

जब देश जल रहा हो ऐसी परिस्थिति में देश को सामान्य दिशा में ले आने के लिए एक नागरिक के तौर पर एक अफसर का क्या दायित्व होना चाहिए ? अफसर को नागरिक दायित्व से वंचित करने का इंतजाम हमारे यहां संवैधानिक व्यवस्था में ही है हमारे यहां पूरी बेशर्मी के साथ या दलील दी जाती है कि आप अधिकारी हैं कर्मचारी हैं आप राजनीति में भाग नहीं ले सकते आप छात्र हैं छात्रों को राजनीति नहीं करना चाहिए वह किसान हैं किसानों को राजनीति में भागीदारी नहीं करनी चाहिए वह मजदूर है मजदूरों को राजनीति में भागीदारी नहीं करनी चाहिए तो फिर राजनीति में भागीदारी करेगा कौन ? भारत की राजनीति का खसरा खतौनी किस को विरासत में मिला हुआ ?

ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख का यह बयान ऐसे समय में आता है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनता को चेतावनी देते हुए कहा कि आप के खिलाफ सेना का भी प्रयोग किया जा सकता है इस चेतावनी के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति को नसीहत देते हुए ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख ने कहा कियह समय शांति बहाली का है इस विकट परिस्थिति में जनता भी घायल हो रही है पुलिस के लोग भी घायल हो रहे हैं

ऐसे में हमें लोगों के दिलों को जीतना होगा पुलिस प्रमुख का यह बयान न केवल शानदार है बल्कि यह भी दर्शाता है किसी लोकतंत्र को हथियारों के दम पर नहीं चलाया जा सकता है जनता के खिलाफ हथियार का प्रयोग सिर्फ कबीलाई सभ्यता में हो सकता है एकमात्र युगांडा से एक पुलिस अफसर का ऐसा वीडियो आता है जिसमें वह नेतृत्व के समर्थन में जनता को गाली दे रहा है और जनता को धमकाने की कोशिश में कर रहा है क्या हमारे पुलिस प्रशासन कार्रवाई है युगांडा की तरह नहीं है?

हमारे हैं प्रधानमंत्री स्वयं मानते हैं सेना का जवान मरने के लिए सेना में जाता है क्योंकि इसके बदले उसे तनख्वाह मिलती है आप उनके इस कथन का वीडियो यूट्यूब पर सर्च कर सकते हैं अब बयानों के जरिए इस अंतर को भी हम समझ सकते हैं कि भारत के लोकतंत्र और अमेरिकी लोकतंत्र में क्या अंतर है ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख का बयान एक बात और सिद्ध करता है कि भारत के भीतर पुलिसकर्मी और जवान महजसत्ता धारियों के भाड़े के बाउंसर हैं जिन्हें कुछ भी बोलने या सुनने का अधिकार नहीं है वह सिर्फ हुकुम बजाएं इसी के लिए उन्हें तनख्वाह दिया जाता है और यह तनख्वाह भी उसी जनता के टैक्स से दिया जाता है जिस जनता पर वह जुल्म ढा रही है अपने सबसे अधिक पढ़े लिखे होने का दावा करने वाले आईएएस और आईपीएस को ह्यूस्टन पुलिस प्रमुख के बयान से सीखना चाहिए और अपने इंसान होने का प्रमाण भी देना चाहिए




संतोष कुमार सिंह, विशेष सवांददाता, वाराणसी

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