NationPolitics, Law & Society
Trending

मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा था मुझे न्याय मिला. आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया – डॉ. कफील खान

डा कफील खान का कहना है कि एक डाक्टर हमेशा डाक्टर रहता है। भविष्य में क्या होगा मैं नहीं जानता।

डॉ. कफील खान ने अपनी नजरबंदी के मामले में उच्चतम न्यायालय SUPREME COURT से राहत मिलने पर संतोष जताते हुए शुक्रवार को कहा कि 17 दिसंबर का दिन उनके लिए दोहरी खुशी लेकर आया।

उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत डॉ. कफील खान की नजरबंदी रद्द करने के इलाहबाद उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह ‘‘एक अच्छा फैसला है।’’ इससे पहले उच्च न्यायालय ने एक सितम्बर को डॉ कफील की नजरबंदी निरस्त करते हुये उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया था।

डा खान ने कहा कि उनके भाई का निकाह बृहस्पतिवार को था और उसी दिन उच्चतम न्यायालय में सुनवाई तय थी जिससे परिवार में सभी के लिए स्थिति तनावपूर्ण थी। लेकिन जैसे ही उच्चतम न्यायालय का फैसला आया जश्न का माहौल बन गया।


डा खान ने कहा, मुझे नहीं पता कि यह महज एक संयोग है या जानबूझकर सुनवाई 17 दिसंबर को तय की गयी जिस दिन मेरे भाई का निकाह होना था। उत्तर प्रदेश सरकार को मेरे भाई के निकाह की जानकारी थी। उन्होंने कहा कि वह बुधवार की रात सो नहीं पाए और बृहस्पतिवार सुबह निकाह कार्यक्रम के दौरान पहनने के लिए लाई गयी शेरवानी पहनकर ही अदालत चले गए। डा खान ने कहा, मुझे नहीं पता था कि याचिका का क्या होगा, वह खारिज होगी या मुझे न्यायालय से सीधे जेल भेज दिया जाएगा।

सनद रहे 2017 में कथित तौर पर आक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण कुछ बच्चों की मौत के बाद डा कफील को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था। खान ने कहा कि वह अपनी सेवा बहाली को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने इस बारे में राज्य सरकार को कई पत्र लिखे हैं।

खान इस समय अस्थायी तौर पर दिल्ली व जयपुर में रह रहे हैं। राजनीति में जाने के सवाल पर डा कफील ने कहा, ‘‘एक डाक्टर हमेशा डाक्टर रहता है। भविष्य में क्या होगा मैं नहीं जानता।’’

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने एक सितंबर को डा. कफील खान की नजरबंदी निरस्त करते हुये तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था। डा कफील खान संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में नजरबंद थे।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आन्दोलन के दौरान उनके षण ने नफरत फैलाई और न ही हिंसा को बढ़ावा दिया बल्कि उन्होंने तो राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया था।

2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में मरीज बच्चों की मौत के मामले के बाद सोशल मिडिया के सौजन्य से कफील चर्चा में आये थे। वह शुरुआत में आपात ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करके बच्चों की जान बचाने वाले नायक के तौर पर सामने आए थे, लेकिन बाद में उनपर और अस्पताल के नौ अन्य डॉक्टरों तथा कर्मचारियों के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की गई। सभी को बाद में जमानत मिल गई।

Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close