Energy & Environment

रिलायंस पॉवर का ऐश डैम टूटा, दो की मौत, 4 लापता, हजारों एकड़ फसल बर्बाद, आसपास के कई घरों में भरा जहरीला मलबा

पर्यावरणविद् अश्वनी कुमार दूबे कहते हैं, ‘यह बहुत बड़ी घटना है। आश्चर्य वाली बात तो यह है कि चार साल पहले इंडस्ट्री लगी और ऐश डैम टूट गया। सच तो यह कि कंपनियां किसी भी नियम का पालन नहीं कर रही हैं, जबकि सिंगरौली अति प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है।’

चार हजार मेगावॉट क्षमता की अल्ट्रा मेगा सुपर थर्मल पावर रिलायंस पॉवर का ऐश डैम शुक्रवार की शाम टूट गया। जिसकी जद में आने से एक महिला सहित दो की मौत हो गई जबकि कई लोग मलबे में दब कर गायब हो गए। कई मवेशी बह गए, फसलों की भारी तबाही हुई, लाखों लीटर राख मिश्रित मलवा बह कर गोविंदबल्लभ पंत सागर को और जहरीला बना रहा है। 

मध्य प्रदेश के जिला सिंगरौली में स्थिति रिलायंस पावर प्लांट का ऐश डैम (राखड़ बांध) टूटने से दो लोंगी की मौत हो गई है, जबकि चार लोग अभी भी लापता हैं। डैम टूटने से आस-पास के कई घरों में जहरीला मलबा भर गया है, कई एकड़ की फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। सिंगरौली के बैढ़न थाना क्षेत्र से लगभग 15 किमी दूर सासन स्थित रिलायंस समूह के 3960 मेगावाट वाले अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट का सिद्धीखुर्द (हिर्रवाह) में बना राखड़ बांध शुक्रवार (10 अप्रैल 2020) शाम लगभग पांच बजे टूट गया। पास का गांव हर्रहवा मलबे से पट गया है।
 
मलबे से अभी तक दो शव निकाले गये हैं। जिनकी पहचान केसपति (50) और दिनेश साहू (38) के रूप में हुई है। चार लोग अभी भी लापता हैं। लंबे समय से विस्थापितों के हक की लड़ाई लड़ रहे रहे संदीप शाह अक्टूबर 2019 में रिलायंस के इसी पावर प्लांट के मेन गेट के बाहर कई मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे। उसमें एक मांग यह भी थी कि सिद्धीखुर्द में रिलायंस पावर प्रोजेक्ट के डैमेज ऐश डैम को ठीक कराया जाये अन्यथा इससे बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। इसके बाद 25 अक्टूबर 2019 को सिंगरौली जिला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जिला लोक निर्माण विभाग, एसडीएम और तहसीलदार तकनीकी अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में इस ऐश डैम को एकदम ठीक बताया और कहा कि इसके टूटने की संभावना एक दम नहीं है। तब इसे और ऊंचा करने की बात भी हुई थी। अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे संदीप फोन पर बताते हैं, ‘मेरे धरने पर बैठने के बाद जिलाधिकारी और कंपनी प्रबंधन के बीच बातचीत हुई। 

जिले के कई विभागों ने अपनी जांच के बाद कहा था कि ऐश डैम की ऊंचाई को बढ़ाया जायेगा, लेकिन ऊंचाई नहीं बढ़ाई गयी और यह हादसा हो गया। अब देखिये इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।’
घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी केवीएस चौधरी ने मीडिया को बताया, कि ‘जो लोग फंसे है उन्हें निकालने की कोशिश जारी है। इसके वाराणसी से एनडीआरएफ की टीम को मदद के लिए बुलाया गया है। एनटीपीसी और एनसीएल से भी मदद मांगी गई है। फसलों का कितना नुकसान हुआ है इसका आंकलन हम जल्द कर जानकारी देंगे । हादसे में कंपनी की लापरवाही हद दर्जे की जिम्मेदार है। हम कंपनी पर सख्त कार्रवाई करेंगे।’

रिहन्द डैम में जा रहा जहरीला मलबा

बैढ़न। ऐश डैम का जहरीला मलबा रिहंद बांध में जा रहा। ऐश डैम (राखड़ बांध) में बिजली संयंत्रों में कोयले के जलने के बाद निकली राख जिसे फ्लाई ऐश भी कहा जाता है, को जमा किया जाता है। ऐश डैम का मलबा नालियों से होते हुए गोविंद बल्लभ पंत सागर में जा रहा है। इस बांध से सिंगरौली-सोनभद्र के लगभग 20 लाख लोगों को पीने की पानी की सप्लाई होती है। 
सुप्रीम कोर्ट में वकील और पर्यावरणविद् अश्वनी कुमार दूबे कहते हैं, ‘यह बहुत बड़ी घटना है। आश्चर्य वाली बात तो यह है कि चार साल पहले इंडस्ट्री लगी और ऐश डैम टूट गया। सच तो यह कि कंपनियां किसी भी नियम का पालन नहीं कर रही हैं, जबकि सिंगरौली अति प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है।’

मौके पर पहुँचे विधायक सिंगरौली रामलल्लू बैसवार ने कहा कि वो 6 महीने पूर्व ही रिलायंस प्रबंधन को आगाह किया था कि राख बांध टूट सकता है।

एनटीपीसी विंध्याचल और एस्सार का भी राख बांध टूट चुका है

अनपरा। रिहन्द बांध पर आश्रित उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थिति सिंगरौली-सोनभद्र पट्टी में कोयले पर आधारित 10 पावर प्लांट हैं, जो 21,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं। सोनभद्र जिले के शक्तिनगर क्षेत्र स्थित भारत के सबसे बड़ी बिजली उत्पादन संयंत्र नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) विंध्याचल का शाहपुर स्थित विशालकाय ऐश डैम (राखड़ बांध) छह अक्टूबर, 2019 को टूट गया था। तब भी कई मवेशी बह गये थे, हजारों एकड़ की फसल भी बर्बाद हो गई थी। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रीवा के क्षेत्रीय अधिकारी आरएस परिहार इस घटना को पर्यावरण के लिए बड़ा नुकसान मानते हैं। वे कहते हैं, ‘एनटीपीसी विंध्याचल (सिंगरौली) की त्रासदी एस्सार की हुई घटना से बहुत बड़ी थी। इससे क्षेत्र का इकलौता पीने के पानी का स्रोत डैमेज हुआ। प्लाई ऐश डैम का गड्ढा बहुत पुराना था जिस कारण यह दुर्घटना हुई।

लगभग 35 लाख मीट्रिक टन प्लाई राख जमा थी जो नालों से होकर रिहंद बांध में चली गई थी जो इससे पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है।’ वर्ष 2019 में ही आठ अगस्त को एस्सार पावर प्लांट का राखड़ डैम तेज बारिश की वजह से टूट गया था। इसकी चपेट में आने से सैकड़ों मवेशियों की मौत हो गई थी और तकरीबन पांच सौ किसानों की 198 एकड़ की फसल चौपट हुई थी। इससे पहले 13 अप्रैल 2014 को भी सिंगरौली के एस्सार पावर प्लांट का ऐश डैम टूट गया था। इसकी जद में आये खेत आज भी बंजर हैं।

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