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पूर्वांचल के बनारस [Varanasi] में 8वां अजूबा बिना जमीन का महाविद्यालय ?

मामला कागज़ों पर 2002 में कागज़ों पर बने महाविद्यालय महादेव बरियासनपुर गांव के संबद्धता का है, ऐसा महाविद्यालय जो बना पर सिर्फ कागज़ों पर उसके पास जमीन ही नहीं इस बात की पुष्टि DM के द्वारा भेजे गये चिट्टी से होती है जिसकी कॉपी हमारे पास उपलब्ध है , ये हैरान कर देने वाला मामला दिल्ली की संस्था बोधिसत्व फाउंडेशन की पड़ताल के बाद सामने आया जहाँ ये पाया गया कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ इस तरह के फर्ज़ीवाड़े को संरक्षित कर रही है। और जानबूझकर आंखे मूंदे बैठी है जिसमें उसके उच्च शिक्षा अधिकारी , रजिस्ट्रार और कुलपति की सहमति शामिल है।

संस्था का आरोप है कि शिक्षा बड़ा पवित्र पेशा है और इसमें घालमेल की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए पर विश्विद्यालय और महादेव महाविद्यालय बरियासनपुर जिस तरह से नियमों और कानून को ताक पर रखकर फर्ज़ीवाड़ा कर रहे है वो बिना भ्रस्टाचार के संभव नहीं है इसमें नीचे प्रशासन से लेकर अधिकारियों तक और लखनऊ की संगलिप्ता जाहिर है। तभी कोई करवाई और उपाय नहीं किये गये। हमारे पास उपलब्ध कागज़ और साक्ष्य के द्वारा इस बात की पुष्टि होती है।

कॉलेज शुरू हुआ 2002 में लेकिन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास से शिकायत के बाद जब विश्विद्यालय से कागज़ मांगा गया तो विश्विद्यालय ने 2005 की NOC की कॉपी उपलब्ध करवाई अब सारा पेंच यही है 2005 में महादेव महाविद्यालय के नाम खतौनी में दर्ज है पर उसी खतौनी में 2006 में अलग -अलग व्यक्तियों के नाम दर्ज है जो ये बताता है कि काशी विद्यापीठ में दाखिल कागज़ महादेव की तरफ से जमा किया गया है वो फ़र्ज़ी है उसको गलत मंशा से बनाया गया है।

बोधिसत्व फाउंडेशन के भ्रष्टाचार के आरोप की पुष्टि के लिए देखना बड़ा दिलचस्प है कि यूनिवर्सिटी से अधिकारी पैसे खाकर इस मामले की फ़ाइल दबाये बैठे है। और वो स्थानीय प्रशासन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी भुलावे में रखते हुये गलतबयानी करते है। जब मजिस्ट्रेट से पूछा जा रहा है कि बिना जमीन के महादेव महाविद्यालय की मान्यता कैसे हुई ? और इधर 2019 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ महादेव महाविद्यालय को 2019 में फ़र्ज़ी कागज़ पर 4 साल के ITEP कोर्स शुरू करने के लिए NOC देता है। साथ ही इस जाली कागज़ पर NCTE की मान्यता भी महादेव महाविद्यालय बरियासनपुर गांव ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के साथ मिलकर फ़र्ज़ी खतौनी और CLU आर्डर का फर्ज़ीवाड़ा कर के हासिल की।

जो सिर्फ खुद में एक बड़ा घोटाला है। हमारी शिकायत उसपर भी कानूनी प्रक्रिया के तहत डाली गई है।

राजस्व विभाग और विश्विद्यालय जैसी विश्वसनीय संस्था आखिर क्या चंद पैसों में किसी की भी जेब में समा सकती है , हमें इस मामलें में पुख्ता सबूत मिले है अधिकारी और विश्विद्यालय की तरफ से इसमें शामिल होने के जो फ़र्ज़ी दस्तावेज को दबा कर शिकायत पर करवाई और सरकारी नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे है . बहूत जल्द हम उनके खिलाफ भी प्रधानमंत्री कार्यालय, मिनिस्ट्री ऑफ एडुकेशन, NCTE, राज्यपाल, और मुख्यमंत्री के साथ राजस्व विभाग में भी शिकायत हमारे द्वारा संप्रेषित की जा चुकी है।

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Shweta R Rashmi

Special Correspondent-Political Analyst, Expertise on Film, Politics, Development Journalism And Social Issues. Consulting Editor Thejanmat.com

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