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पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन से देश के समाजवादियों में शोक की लहर।

डॉक्टर सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सहित देश के तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने रविवार को दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली। शनिवार को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जीवन रक्षा प्रणाली पर रखा गया था।

रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्म वैशाली जिला के शाहपुर में छह जून, 1946 को हुआ था। उन्होंने पांच-पांच बार लोकसभा-विधानसभा और एक बार विधान परिषद में प्रतिनिधित्व किया। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। युवावस्था से ही रघुवंश सक्रिय राजनीति में ऐसे रमे कि बिहार के बाहर के बहुत कम लोगों को पता है कि वह गणित में पीएचडी थे और प्राध्यापक भी थे।

जेपी आंदोलन के पहले से ही वे राजनीति में सक्रिय थे। 1973 में उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का सचिव बनाया गया था। 1977 से 1990 तक वे बिहार विधानसभा के सदस्य थे। उसी दौरान बिहार में कर्पूरी ठाकुर की सरकार में ऊर्जा मंत्री भी बनाए गए। 1990 में विधानसभा में उपाध्यक्ष बनाए गए। बाद में जब लालू प्रसाद की सरकार बनी तो विधान परिषद के सभापति और बाद में मंत्री भी बनाए गए।

प्रखर समाजवादी नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को मनरेगा योजना का जनक भी कहा जाता है ।  बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक ब्रह्म बाबा उर्फ रघुवंश प्रसाद सिंह राजद का सवर्ण चेहरा थे। कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए-1) शासन काल में राजद कोटे से मंत्री बनाए गए थे।

 23 मई 2004 से 2009 तक वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट में ग्रामीण विकास विभाग मंत्री रहे। इस बीच सोनिया गांधी की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय सलाहकार समिति ने रोजगार गारंटी कानून बनाने का प्रस्ताव दिया। इस कानून बनाने की जिम्मेदारी श्रम मंत्रालय को दी गई। लेकिन श्रम मंत्रालय ने इस कानून को बनाने को लेकर छह महीने में ही हाथ खड़े कर दिए। बाद में ग्रामीण विकास मंत्रालय को कानून बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने रघुवंश बाबू को श्रधांजलि दी।

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