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प्रवासी श्रमिकों के सहयोग में भभुआ के लोग भी किसी से पीछे नहीं

यह महान दृश्य है , चल रहा मनुष्य है, अश्रु स्वेद रक्त से , लथपथ लथपथ लथपथ , अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ । हरिवंश राय बच्चन

बिहार ब्यूरो : कोरोना से जंग में भिन्न भिन्न वर्ग के लोग अपने स्तर से जितना हो सके लोग भरपूर सहयोग कर रहे है और सराहना भी चहुंओर हो रही है। सड़क पर आने वाले प्रवासी मजदूरों की सेवा में भभुआ [बिहार ] के भी लोग किसी से कम नहीं । जिले में प्रवासियों के आगमन शुरू होने के बाद से ये ग्रामीण लोग भोजन पानी दवा कपड़े आदि के सेवा से अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभा रहे हैं।

ग्रामीण लोगों का कहना है की नर सेवा ही नारायण सेवा है भूख- प्यास से व्याकुल लोगों की मदद कर दिल को जो सुकून मिल रहा है। बाहर से आए लोगों की मदद करने से बड़ा कोई काम नहीं है।

सुबह सुबह ही सहायता कर्मी खाना तैयार करवाते है , फिर उसे लेकर बिहार यूपी बार्डर पर जो कैमूर के कर्मनासा बाजार के पास है वहां पर खाने का पैकेट जो की पूरी तरह से पैक रहता है तथा उसके साथ पानी की टंकी वाली गाड़ी भी लेकर अपने राहत शिविर के तरफ पहुंच जाते है।

यू पी बिहार बार्डर पर तपती दोपहरी लूं परन्तु हौंसले अडिग

बार्डर और हाईवे पे आ रहें लोगों को पकड़ पकड़ कर खाना पानी दिया जा रहा था फिर पता लगा कि बिहार बार्डर के कर्मनासा स्टेशन पे भारी मजदूरों की भीड़ हैं वहां जाइये सहायता कर्मी लोग कुछ राहत सामग्री लेकर वहां गए तभी एक वैन से यूपी के कुछ मुश्लिम बंधु तरबूज लादकर काटकर सभी को दे रहे थे,
मैं ध्यान नहीं दिया
फिर अचानक ध्यान दिया..
और इंटरव्यू लिया
आप कौन हैं, कहां से हैं
क्या बेच रहें है
तो जानते हैं क्या बोला सब…
हम दस दिन से लगे हैं
पहले यूपी सीमा से सहायता करते थे,
पर अब उधर भीड़ कम हो गई
तो बिहार सीमा मे आकर निशुल्क सेवा करते हैं
और सभी नौजवान थें
मैने बहुत बहुत धन्यवाद दिया..
क्या मुश्लिम क्या हिन्दू 👈


प्रशासन की ओर से किए गए दावों को सुनकर ऐसा लगता है कि सबकुछ सही है परन्तु जो श्रमिक हाईवे पर तेज धूप में चलते हुए दिखाई दिए और राहत शिविर पर रुके थे . बात करने पर पता चला कि ये मजदूर हरियाणा दिल्ली राजस्थान उत्तराखंड आदि जगहों से ही पैदल आ रहे हैं, जो कि बिहार के भिन्न भिन्न जिलों की ओर जा रहे थे. अपने कंधों पर भारी सामान लिए ये मजदूर हजारों किलोमीटर की दूरी की परवाह किए बिना अपने सफर पर बढ़ चले थे लेकिन सबसे बड़ी बात यह की इन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के विकास मॉडलों की हवा निकाल दी है 15 से 20 दिनों की संघर्ष यात्रा के दौरान इन्होने वो अनगिनत यातनाएं सही है उसका हाल उनका हृदय ही जानता है। ऐसे में सामाजिक संस्थानो के सहयोग से जो भी इनको राहत मिलती है वो अपने आप में एक बहुत बड़ा सहयोग है। और ऐसे सभी कोरोना वैरियर को the जनमत की पूरी टीम सलूट करती है।

कोरोना वैश्विक महामारी से पीड़ित प्रवासी भाइयों व बहनों की सेवा में सेवा शिविर कुदरा से कर्मनाशा बार्डर तथा कर्मनाशा रेलवे स्टेशन तक जिला पार्षद माधुरी देवी ( पति धीरेन्द्र प्रताप सिंह ) के सौजन्य से सेवा प्रदान किया गया..साथ में राजेश सिंह बब्लू, रिंकू,झब्लु,देवानंद,गोलू(गुरू नानक होटल ),महेन्द्र शर्मा तथा शिविर पर कल्लू(बनभोज होटल ),सिपाही जी,अजित,पंकज,मिक्की,मिट्ठु,बिनोद वगैरह साथी सक्रिय योगदान रहा।

कोरोना सिपाही राजेश सिंह उर्फ़ बबलू सिंह के साथ Theजनमत प्रतिनिधि बातचीत पर आधारित खबर

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