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कोरोना COVID-19 सुनामी के अनसुलझे सवाल | संतोष कुमार सिंह

देशभर के लगभग सभी शहरों से विचलित करने वाली जिस प्रकार की तस्वीरें आ रही है, यह देश के हर आम और खास नागरिक के मन में एक खौफ पैदा कर रहा है, लोग इस बात को समझ नहीं पा रहे है कि कब कौन किस रूप में कहां इसका शिकार हो जाएगा , कोविड-19 की दूसरी सुनामी ने अपने अपने पीछे तमाम सवालों को भी जन्म दिया, दुनिया भर के मीडिया और देश के विपक्ष द्वारा सरकार के सभी आलोचनाओं के बाद भी इन सवालों को उठाने का साहस कोई नहीं कर रहा है, एक आम नागरिक होने के नाते हैं इन सवालों को समझने के साथ ही इसे उठाना हमारा नागरिक दायित्व भी है , इन सवालों को क्रमवार हम समझने की कोशिश करते हैं।

Image credit SKYNEWS
Santosh Kumar Singh National Spokesperson of Samajwadi Janta Party Chandrashekhar
Santosh Kumar Singh National Spokesperson of Samajwadi Janata Party Chandrashekhar
  • कोरोना, जैविक युद्ध साजिश या प्राकृतिक आपदा?

2019 में करोना का पहला दौर शुरू हुआ उस समय भी चर्चाओं का बाजार भी गर्म रहा कि कोरोना प्रयोगशालाओं में मानव निर्मित एक वायरस है ?

इसका अर्थ हुआ दुनिया के जिस देश में भी करोना को निर्मित किया गया, उसने दुनिया भर के देशों से एक बायोलॉजिकल वार अर्थात जैविक युद्ध छेड़ दिया। सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह एक जैविक युद्ध है और यदि यह युद्ध है तो दुनिया के किस देश ने भारत पर हमला किया है?

देश की सरकार संविधान प्रदत्त नियमों के अनुसार युद्ध क्यों नहीं लड़ रही हैं ? सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी स्वयं कहते थे कि मैं घुस के मारूंगा एक के बदले 10 सर लाऊंगा तो इस युद्ध पर उनकी चुप्पी क्यों है?

दुनिया भर में जिस वायरस को छोड़ा गया दुनिया के सभी देश, उस देश के खिलाफ जहां इस वायरस को निर्मित किया गया , कौन सी अदालत में मुकदमा दायर की है कहा केस चल रहा है? या संयुक्त राष्ट्र संगठन जैसी संस्थाओं ने पृथ्वी के संपूर्ण मनुष्यों को खतरे में डालने के आरोप में उस देश के खिलाफ क्या कार्रवाई की है? सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए

इस मसले पर सरकार की चुप्पी यह बताती है कि दुनिया भर की सरकार है तब सभी इस साजिश में सम्मिलित है

कोरोना यदि प्राकृतिक आपदा है तो फिर सरकार ने इन एक सालों में क्या तैयारी की थी?

सरकार इसे आपदा मानती है कि नहीं? सरकार यह स्पष्ट करें कि इस आपदा से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने कितना बजट आवंटित किया ? राज्य सरकारों को भी स्पष्ट करना चाहिए कि राज्य सरकारों के पास कोरोना का कितना बजट है? तथा उसका उपयोग किन किन चीजों में किया गया है।

उससे भी बड़ा सवाल यह है कि यदि सरकार इसे प्राकृतिक आपदा मानती है तो फिर जनता से धन उगाही क्यों? मसलन चाहे वह दवा के लिए हो ऑक्सीजन के लिए हो?

क्योंकि आपदा में रेस्क्यू होता है वह सरकार की अपनी स्वयं की जिम्मेदारी है ,

उदाहरण में केदारनाथ की आपदा को ही लिया जा सकता है , वहां रेस्क्यू ऑपरेशन में जो भी खर्च हुआ है, क्या उसकी रिकवरी पीड़ितों से की गई ? फिर उसी आपदा प्रबंधन नियम को कोरोना रेस्क्यू मे क्यों नहीं लागू किया जा रहा है?
साथ ही सरकारी अभी स्पष्ट करें कि आपदा प्रबंधन में केंद्र व राज्य सरकार के पास कितना बजट है, तथा केंद्र और राज्य की सरकारों ने आपदा प्रबंधन का कितना पैसा कोरोनावायरस लड़ने में खर्च किया है?

आरटीपीसीआर टेस्ट किट पर संदेह होने से जांच रिपोर्ट सही कैसे होगी?

23 अप्रैल 2021 तक देश में कोरोनावायरस के कुल मामले 16263695 बताया गया जिसमें सक्रिय मामले 2,42,8, 616 तथा कुल स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या 13648159 बताया गया है।

पिछले साल जब कोरोना कहर बरपा , तब चीन से बड़ी मात्रा में कोविड-जांच किट मंगाई गई जिसमें बड़े पैमाने किट खराब होना बताया गया है इस कारण रिपोर्ट सही नहीं आ रही है।

यद्पि कोरोना के दूसरे म्युटेंट में भी यही शिकायत आ रही है कि मरीजों का सैंपल ठीक से नहीं लिया जा रहा, मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स की राय है , नया म्युटेंट होने के कारण आरटीपीसीआर किट नए म्युटेंट को पकड़ने में सक्षम नहीं है?

ऐसे में सवाल है की सरकार फिर कैसे यह दावा कर सकती हैं ऊपर दिए गए सक्रिय केस वास्तव में कोरोना के ही पेशेंट है? तथा नए किट को बनाने एवं प्रयोगशालाओं को अपग्रेड करने करने के लिए सरकार की क्या योजना चल रही है?

  • आरटी पीसीआर की आपूर्ति भारत सरकार को कौन कर रहा है?

कोविड-19 को लेकर पहले ही संदेह व्यक्त किया जा चुका था और यह बताया गया कि इसकी एक्यूरेसी 80% ही है। नवंबर 2020 राज्यसभा में करोना जांच किट पर आपत्ति लगने के बाद सरकार ने चीन से इसकी आपूर्ति बंद करा दिया था।

वर्तमान में किस कंपनी द्वारा आरटी पीसीआर की आपूर्ति केंद्र या राज्य सरकारों को की जा रही है ?

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन चलने वाली एचएलएल हेल्थ केयर क्या आरटी पीसीआर निर्मित करने का कार्य अभी भी कर रही है? साथ ही वर्तमान जांच किट, बदले हुए म्युटेंट वायरस की पहचान करने में सक्षम है ? नए किट का निर्माण नए सिरे से हुआ अथवा पुराने किट द्वारा ही अभी जांच की जा रही है?

क्या किसी कोविड पेशेंट के मौत के बाद अब तक पोस्टमार्टम कराया गया?

देश में किडनी लीवर, हृदय रोग, कैंसर आदि के मरीज करोड़ों की संख्या में हैं, पूर्व में इन सब का इलाज जीवन रक्षक औषधि, ऑक्सीजन , वेंटिलेटर आदि के जरिए ही किया जाता रहा है। करोना के दूसरा चरण आने के बाद सरकार ने असाध्य रोगों के मरीजों तथा कोरोना संक्रमित मरीजों को अलग इलाज सुविधा देने की क्या कवायद किया है?

पिछले 1 वर्षों में सरकार द्वारा जितने भी कोविड सेंटर्स की स्थापना की गई ?

उन सेंटर को क्या अलग से वेंटिलेटर ऑक्सीजन आपूर्ति आदि की कार्रवाई की गई है?

यदि नहीं तो ऐसी परिस्थिति में सरकार कैसे दावा कर सकती है की मृत्यु का कारण सिर्फ कोरोना ही है?

क्या सरकार के पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध है जिससे सरकार यह प्रमाणित कर सके कि चिकित्सालय में इलाज के दौरान होने वाली मृत्यु में कितने लोगों की मृत्यु स्पष्ट तौर पर कोरोनावायरस तथा कितने लोगों की मृत्यु अन्य गंभीर रोगों के कारण हो रही है?

कोरोना से मौत को प्रमाणित करने के लिए क्या अब तक किसी भी मृतक का पोस्टमार्टम सरकार द्वारा कराया गया है?

क्या ऐसे में यह सवाल खड़ा नहीं होता है कि हमारी चिकित्सीय व्यवस्था पूरी तरीके से धराशाई हो चुकी है और अन्य गंभीर रोगों से मृत्यु की स्थिति में भी उन्हें कोरोना से मृत्यु बता कर अपनी नाकामी छुपाने का घृणित और निंदनीय कार्य कर रही है ?

साथ ही यह क्यों न समझा जाए कि कोविड- इक्विपमेंट और दवा बनाने वाली कंपनियां षड्यंत्र करके सरकार के संरक्षण में महामारी का हव्वा खड़ा कर मुनाफा बटोरने का काम कर रही हैं?

  1. डब्ल्यूएचओ की आपत्ति के बाद भी रेमडेसिविर का इस्तेमाल क्यों हो रहा है?

मीडिया में आई रिपोर्टों में मेडिकल एक्सपर्ट स्वयं इस बात को कह रहे हैं कि रेमडेसीविर इंजेक्शन का प्रयोग इबोला मलेरिया सहित कई रोगों में पहले से ही किया जाता रहा है। 2020 में कोरोना के केस में रेमडेसीविर का इस्तेमाल करने पर डब्ल्यूएचओ द्वारा आपत्ति जताई जा चुकी है

फिर इतने बड़े पैमाने पर देश के भीतर रेमडेसीविर का इस्तेमाल किसकी सलाह पर हो रहा है और उसकी आपूर्ति में इतनी बाधा क्यों है ?

क्या किसी साजिश के तहत कृत्रिम रूप से इसकी आपूर्ति को बाधित कर मुनाफाखोरी किया जा रहा है?

क्या कोवीशील्ड, कोवैक्सीन आज की परिस्थिति में कोरोला को रोकने में सक्षम है?

मीडिया में आई रिपोर्टों में एक्सपोर्ट बताते हैं की करोना की दूसरी लहर में कोविड का म्यूटेंट तेजी से बदल रहा है

ऐसी परिस्थिति में कोवीशील्ड तथा को वैक्सीन का प्रयोग कितना कारगर होगा ?

क्या सरकार ने किसी ने इस बात की जांच कराई है कि वैक्सीनेशन के लिए के लिए प्रयोग की जाने वाली वैक्सीन अभी भी कारगर है?

 
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