प्रधान मंत्री मुद्रा योजना की ज़मीनी हक़ीक़त।अब चुनाव के बाद ही जारी होंगे रोजगार के आंकड़े।
सरकार का कहना था इस योजना छोटे व्यापारियों को लाभ मिलेगा और देश की आर्थिक हालत में सुधार होगा साथ ही योजना से नवीन गतिविधियों का संचार होगा और देश का विकास होगा।
पूर्ण बहुमत से चुनाव जीती मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही देश के विकास के नाम पर बहुत सी योजनाएँ चलाई जिसमे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना भी एक है। योजना की शुरूआत स्वयं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 की। यह योजना मुद्रा बैंकों के तहत की योजना है। देश भर में रोज़गार और कारोबार की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का शुभारम्भ किया गया। योजना के तहत वित्तीय समस्या से जूझ रहे असंगठित और लघु व्यवसायों को सस्ते ब्याज पर वित्त देना था ताकि वे नए कारोबार आदि को शुरू कर सकें।
योजना के मुख्य उद्देश्य
- देश में लघु व्यवसायो को बैंकों द्वारा छोटा कर्ज़ा उपलब्ध करवाना।
- ऋण लेन -देन की प्रक्रिया को सशक्त करने के लिए ऋण देने वाली संस्थाओं को तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाना।
- उन सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं और अन्य संस्थान को सहयोग देना जो छोटे दुकानदारों,व्यापारियों आदि को ऋण उपलब्ध करवाते है।
- मुद्रा बैंक से ऋण लेने वालो को व्यवसाय संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाना जिससे उसे व्यापार बढ़ाने और व्यवसाय के संकट के समय सहायता मिल सके।
- नोजवानो और महिलाओ को मजबूत धरातल पर लाना साथ ही रोज़गार को बढ़ावा देना।
सरकार का कहना था इस योजना छोटे व्यापारियों को लाभ मिलेगा और देश की आर्थिक हालत में सुधार होगा साथ ही योजना से नवीन गतिविधियों का संचार होगा और देश का विकास होगा।
लेकिन ख़बरों की सुर्खियाँ इस बारे में कुछ और ही कह रहीं है हाल ही में स्मॉल इंडस्ट्रीज़ डवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) की ओर से जारी की गयी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि छोटे कारोबारियों (एमएसएमई) को कर्ज देने के मामले में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी पांच साल में 20 फीसदी घट गई है। जानकारी के अनुसार पता चला है कि वर्ष 2013 में छोटे व्यापारियों की 69 % क़र्ज़ की हिस्सेदारी सरकारी बैंकों में थी। लेकिन वर्ष 2018 के आते आते यह आंकड़ा 46 % तक पहुंच गया है
दूसरी ओर प्रधान मंत्री का कहना था कि इस योजना से रोज़गार में वृद्धि होगी और युवाओं को आसानी से रोज़गार उपलब्ध होगा। लेकिन इस मामले की भी ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही कह रही है। फ़िरोज़पुर के नगीना कस्बे से महेश कुमार मुद्रा लोन न मिलने की शिकायत की है उन्होंने अपनी यह अर्ज़ी प्रधान मंत्री के कार्यालय में भी भेजी है। महज़ 50,000 रूपए के लोन के लिए महेश हफ्तों से बैंकों के चक्कर काट रहे है। बताया जा रहा है कि उनकी इस मांग पर जल्द ही कोई कदम उठाया जायेगा।
हाल ही में ख़बरों की सुर्ख़ियों से पता चला है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने एनडीए सरकार पर फिर अपने तीखे सवालों के तारों की बौछार कर दी है उन्होंने सरकार द्वारा चलाई गयी सभी योजनाओं पर तंज़ कस्ते हुए उन्हे सीधे सीधे दो टूक शब्दों में विफल बताया।
मुद्रा योजना के बारे में उन्होंने कहा कि यह योजना सरकार की बहुत बड़ी असफलता है क्योकिं देश में सिर्फ 1 % अनुप्रयोगों में 5 लाख रुपये से अधिक के ऋण प्राप्त हो हुए हैं। उनका कहना था कि योजना स्वीकृत का औसत ऋण केवल 46,000 रुपए था जो एक नए व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत ही कम है।
आपको बता दें कि बता दें कि मोदी सरकार ने बेरोज़गारी पर एनएसएसओ की रिपोर्ट और श्रम ब्यूरो की नौकरियों और बेरोज़गारी से जुड़ी छठवीं सालाना रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। इन दोनों ही रिपोर्टों के आंकड़ों में मोदी सरकार के कार्यकाल में देश में नौकरियों में गिरावट और बेरोज़गारी में बढ़ोतरी की बात सामने आयी थी।
वर्ष 2016 -17 में एक रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चला की देश में बेरोज़गारी का स्तर 3.9% पर था जबकि वर्ष 2017- 18 यह आंकड़ा 6 % से भी ऊपर तक चला गया। एक और विपक्ष ने योजना को घेरा तो दूसरी और सरकार ने इस बार आंकड़े देने से भी इंकार कर दिया है।
ख़बरों की सुर्खियों से पता चला है कि मोदी सरकार बेरोज़गारी और नौकरियों की संख्या से जुड़े आंकड़ों को चुनाव के बाद ही जारी करेगी।
ऐसे में आम जनता को इस योजना से कितना फायदा मिला होगा आप लोग इस बात का अंदाज़ा लगा ही चुके होंगे।