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जनविरोधी केंद्रीय भाजपा सरकार रात के अंधेरे में देशवासियों की खून पसीने की कमाई लूटने में लगी है-रणदीप सिंह सुरजेवाला

विपदा के समय इस प्रकार पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगाकर देशवासियों की गाढ़ी कमाई को लूटना ‘आर्थिक देशद्रोह’ है।

रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुख्य प्रवक्ता एवं प्रभारी, कम्युनिकेशंस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान:-
130 करोड़ भारतीय कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, रोजी-रोटी की मार झेल रहे हैं, आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और संकट के इस समय में भी जनविरोधी केंद्रीय भाजपा सरकार रात के अंधेरे में देशवासियों की खून पसीने की कमाई लूटने में लगी है। कच्चे तेल की कीमतें पूरी दुनिया में अपने न्यूनतम स्तर पर हैं। उनका लाभ 130 करोड़ देशवासियों को देने की बजाए मोदी सरकार पेट्रोल और डीज़ल पर निर्दयी तरीके से टैक्स लगाकर मुनाफाखोरी कर रही है।

विपदा के समय इस प्रकार पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगाकर देशवासियों की गाढ़ी कमाई को लूटना ‘आर्थिक देशद्रोह’ है।

कोरोना महामारी व गंभीर संकट के इस काल में पूरी दुनिया की सरकारें जनता की जेब में पैसा डाल रही हैं, पर इसके विपरीत केंद्रीय भाजपा सरकार देशवासियों से मुनाफाखोरी व जबरन वसूली की हर रोज नई मिसाल पेश कर रही है। देश की जनता का खून चूसकर अपना खजाना भरना कहां तक सही या तर्कसंगत है।

जबरन वसूली की सब हदें पार कर गई मोदी सरकार के कड़वे सच जानिए:-

1.​14 मार्च, 2020 की रात को केंद्रीय भाजपा सरकार ने पेट्रोल व डीज़ल पर 3 रु. टैक्स लगा दिया।
कल रात के अंधेरे में लगभग 12 बजे एक बार फिर केंद्रीय भाजपा सरकार ने पेट्रोल व डीज़ल पर क्रमशः 10 रु. व 13 रु. प्रति लीटर का अतिरिक्त टैक्स लगा दिया।

यानि मात्र 48 दिन में (14 मार्च से 4 मई के बीच) मोदी सरकार ने डीज़ल पर 16 रु. प्रति लीटर टैक्स व पेट्रोल पर 13 रु. प्रति लीटर टैक्स लगा दिया। अकेले इस टैक्स बढ़ोत्तरी से मोदी सरकार जनता की जेब से 1,40,000 करोड़ रु. सालाना लूटेगी।

2.​26 मई, 2014 को (जब मोदी जी ने कार्यभार संभाला) भारत की तेल कंपनियों को कच्चे तेल की लागत 108.05 अमेरिकी डॉलर या 6,330.65 रु. प्रति बैरल पड़ती थी। 1 बैरल में 159 लीटर होते हैं यानि तेल की कीमत थी 39.81 रु. प्रति लीटर (पीआईबी प्रेस रिलीज़ संलग्नक A1 देखें)।
4 मई, 2020 को भारत की तेल कंपनियों को कच्चे तेल की लागत 23.38 अमेरिकी डॉलर या 1772 रु. प्रति बैरल पड़ती है। 1 बैरल में 159 लीटर होते हैं। यानि आज के दिन देश में प्रति लीटर तेल की लागत 11.14 रु. प्रति लीटर है (पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा 5 मई, 2020 को जारी की गई सूचना संलग्नक A2 संलग्न है)।

तो फिर देशवासियों को 11.14 रु. प्रति लीटर वाला तेल 71.26 रु. प्रति लीटर (पेट्रोल) व 69.39 रु. प्रति लीटर (डीज़ल) क्यों बेचा जा रहा है?

3.​मई, 2014 में व 5 मई, 2020 को पेट्रोल-डीज़ल पर भारत सरकार द्वारा लिया जा रहा टैक्स है-
मई, 2014 में डीज़ल पर केंद्रीय सरकार द्वारा लिया जा रहा टैक्स​ = 3.56 रु. प्रति लीटर
5 मई, 2020 को डीज़ल पर केंद्र सरकार का डीज़ल पर टैक्स = 31.73 रु. प्रति लीटर
मोदी सरकार ने 5.5 साल में डीज़ल पर टैक्स बढ़ाया = 28.17 रु. प्रति लीटर

मई, 2014 में पेट्रोल पर केंद्रीय सरकार द्वारा लिया जा रहा टैक्स​= 9.48 रु. प्रति लीटर
5 मई, 2020 को पेट्रोल पर केंद्र सरकार का डीज़ल पर टैक्स = 32.98 रु. प्रति लीटर
मोदी सरकार ने 5.5 साल में पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाया = 23.50 रु. प्रति लीटर
क्या मोदी सरकार इस मुनाफाखोरी का कारण बताएगी?

4.​केंद्रीय भाजपा सरकार ने 2014-15 से 2019-20 तक यानि 6 वर्षों में 12 बार पेट्रोल व डीज़ल पर टैक्स बढ़ाकर 130 करोड़ भारतीयों से 17 लाख करोड़ रु. वसूले हैं (सबूत संलग्नक A3)।
इस जबरन वसूली का पैसा कहां गया, जब जनता को कोई राहत ही नहीं मिली?

प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी सामने आकर 130 करोड़ भारतीयों को जवाब दें।

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