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जाने इतिहास शिव के 12 दिव्य ज्योतिर्लिंगों का,जिनके दर्शनमात्र से ही होती है पूर्णमोक्ष की प्राप्ति।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को एक बार देवों के देव महादेव जी के इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन श्रद्धापूर्वक ज़रूर करने चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य के सातों जन्म के पाप समाप्त हो जाते है और उसे पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हिन्दू समुदाय के देवी देवताओं में भगवान शिव को देवा के महादेव के नाम से जाना जाता है। इस धरती पर शायद ही कोई ऐसा मंदिर हो जहाँ भगवान् शिव का स्थान ना बना हो। हम कह सकते है कि हिन्दू देवी देवताओं में श्री गणेश के बाद भगवान् शिव की पूजा सबसे अधिक होती है।

पुराणों के अनुसार इस धरती पर जहाँ जहाँ भगवान् शिव स्वयं प्रकट हुए वहा वहा भगवान् के दिव्य ज्योतिर्लिंग की स्थापना हो गयी। इन दिव्य ज्योतिर्लिंगों की कुल संख्या 12 है। इन्हे द्वादश ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।

ग्रंथो में बताया गया है कि शिव बहुत भोले है ,उन्हे भोलेनाथ के रूप में भी जाना जाता है इसलिए ज्ञानी विद्वान बताते है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातकाल सिर्फ इन 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के सभी दुःख,पाप व रोग दूर हो जाते हैं।

आइये इन 12 दिव्य ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करते हुए जानते है इनसे जुडी कुछ अनसुनी बाते और इनका दिव्य अवतरित स्थान।

1.श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – पहला ज्योतिर्लिंग विश्व में श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। जो गुजरात सौराष्ट्र के काठियावाड़ क्षेत्र में विराजमान है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यदु वंश का संहार कराने के बाद अपनी नर लीला इसी क्षेत्र में समाप्त की थी।

बाद में ‘जरा’ नामक व्याध (शिकारी) ने अपने बाण से उनके चरणों (पैर) को भेद उनकी मृत्यु कर दी थी। विश्व प्रसिद्ध यह मंदिर को अतीत में छह बार ध्वस्त एवं निर्मित किया गया है। सन 1022 ई में में भारत में मोहम्मद गजनवी के हमले से इस धाम का बहुत नुक्सान हुआ था।

सौराष्ट्र देशे विशवेऽतिरम्ये, ज्योतिर्मय चंद्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृतावतारम् तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।

2.श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य की कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इस स्थान को दक्षिण भारत का कैलाश भी कहा जाता है।

हिन्दू धर्म ग्रन्थ महाभारत के अनुसार अश्वमेध यज्ञ का पर्याप्त फल पाने के लिए श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करना चाहिए इससे महादेव बहुत जल्द प्रसन्न होते है। कहा जाता है कि श्रीशैल जी के शिखर के सिर्फ दर्शन मात्र से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।

श्री शैलश्रृंगे विव‍िधप्रसंगे, शेषाद्रीश्रृंगेऽपि सदावसंततम्।
तमर्जुनं मल्लिकार्जुनं पूर्वमेकम्, नमामि संसारसमुद्रसेतुम्।।

3.श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह तृतीय सबसे बड़ा ज्योतिर्लिंग है जो श्रीमहाकालेश्वर जी के नाम से विश्व भर में जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में बह रही शिप्रा नदी के तट पर विराजमान है।

इस दिव्य ज्योतिर्लिंग के दिव्य स्थान को चीनकाल में अवंतिकापुरा के नाम से जाना जाता था। हिंदी व् संस्कृत भाषा के प्राचीन साहित्य में आज भी इस स्थान अवंतिकापुरा है। इस स्थान पर भगवान् महादेव का दिव्य एवं भव्य महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान है जो सदियों से अपने भक्तों के कष्ट दूर करता आ रहा है।

अवंतिकाया विहितावतारम्, मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थम्, वंदे महाकाल महासुरेशम्।।

4.श्रीओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – शिव जी का यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में बह रही नर्मदा नदी के बीच स्थित एक छोटे से द्वीप पर है। इस दिव्य ज्योतिर्लिंग की ख़ास बात यह है कि यहाँ ॐकारेश्वर और मामलेश्वर दो अलग अलग लिंग के रूप में विराजमान है लेकिन आपको बता दें कि 2 स्वरूप होते हुए भी इनकी गणना एक ही ज्योतिर्लिंग के रूप में की गयी है।

कहा जाता है कि यहां पर स्तिथ विंध्य नाम के पर्वत ने भगवान् शिव की आराधना की थी और शिव ने उन्हे दर्शन भी दिए थे। इस ज्योतिर्लिंग को महादेव का सबसे भव्य ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।

कावेरिकानर्मदयो: पवित्रसमागे सज्जनतारणाय।
सदैव मांधातृपुरे वसंतम्, ओंकारमीशं शिवमेकमीडे।

5.श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – भगवान् भोलेनाथ का यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की पहाड़ियों के आगोश में विराजमान है। इस ज्योतिर्लिंग को श्री केदारेश्वर जी के नाम से भी जाना जाता है।

लगभग 12 हजार फुट की ऊंचाई पर विराजमान शिव का यह ज्योतिर्लिंग शिवजी की क्रीड़ास्‍थली क्षेत्र माना गया है। इस स्थान से पूर्व अलकनन्दा नदी के किनारे भगवान श्री बद्रीविशाल जी का एक प्राचीन मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई व्यक्ति बिना केदारनाथ भगवान का दर्शन किए श्री बद्रीविशाल जी यात्रा करता है उसकी यात्रा अधूरी व् निष्फल मानी जाती है।

हिमाद्रीपार्श्वे च समुल्लसंतम् सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रै:।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै:, केदारसंज्ञं शिवमीशमीडे।

6.श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग – यह दिव्य ज्योतिर्लिंग मुंबई से पूर्व और पूना के उत्तर की ओर भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं। ये पावन स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर सह्याद्रि पर्वत के क्षेत्र डाकिनी में स्तिथ है।

कहा जाता है कि यहां पर भगवान शंकर जी ने भीमासुर नाम के दानव का संहार किया था। शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में यह ज्योतिर्लिंग छठे स्थान पर आता है। शिवपुराण के अनुसार भीमशंकर ज्योतिर्लिंग को असम के कामरूप जिले में गुवाहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर स्थित बतलाया जाता है।

यो डाकिनीशाकिनिकासमाजै: निषेव्यमाण: पिश‍िताशनेश्च।
सदैव भीमेशपद्प्रसिद्धम्, तं शंकरं भक्तहिंत नमामि।

7.काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – शिव का ज्योतिर्लिंग “श्री विश्वनाथ” जी के रूप में वाराणसी के प्रदेश में काशी में विराजमान है। गंगा मैया के तट पर स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग हिंदुओं समुदाय के लोगों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। काशी के बारे में कहा जाता है कि काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है जो भगवान् भोलेनाथ जी के त्रिशूल पर विराजमान है।

इस ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर ,आनन्दकानन, आनन्दवन, अविमुक्त जैसे नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो व्यक्ति काशी में अपने प्राण त्यागता है वह सांसारिक जंजालों से सदा के लिए मुक्त हो जाता है, क्योकिं ऐसा माना जाता है कि स्वयं शिव शम्भू का विश्वनाथ स्वरूप उस व्यक्ति को मरते समय तारक मंत्र सुनाता है।

सानंदमानंदवने वसंतमानंदकंद हतपापवृंदम्।
वाराणसीनाथमनाथनाथम्, श्री विश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।।

8. श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंगश्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव का 8वा ज्योतिर्लिंग है जो महाराष्ट्र प्रांत के नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे पर विराजमान है इसे त्र्यम्बक ज्योतिर्लिंग, त्र्यम्बकेश्वरज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।

इस स्थान की सबसे बड़ी विवशता यह है कि यहां ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों ही विराजित है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर गौतम ऋषि गोहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए शिवजी की तपस्या कर गंगा को अवतरित करने का वरदान माँगा था जिसके फलस्वरूप गोदावरी नदी का उद्गम हुआ।

सह्याद्रीशीर्षे विमले वसंतम्, गोदावरीतीरपवित्रदेशे।
यद्यर्शनात् पातकपाशु नाशम्, प्रयाति त्र्यंबकमीशमीडे।

9.श्रीवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – झारखंड के देवघर में स्थित श्री वैद्यनाथ जी यह 9वा ज्योतिर्लिंग है। हिन्दू पुराणों में इस स्थान को चिता भूमि कहा गया है।

एक प्राचीन कथा के अनुसार राक्षसराज रावण ने भगवान् शंकर की घोर तपस्या कर उनसे एक शिवलिंग प्राप्त किया जिसे वह लंका में स्थापित कर अत्यधिक बाहुबल का स्वामी बन विनाश का खेल खेलना चाहता था ,लेकिन गणेश जी की महिमा से वह दिव्य लिंग वैद्यनाथ में ‍ही स्थापित हो गया। आज इसी लिंग को वैद्यनाथधाम के नाम से भी जाना जाता है।

पूर्वोत्तरे पारलिका‍भिधाने, सदाशिवं तं गिरिजासमेतम्।
सुरासुराराधितपादपद्मम्, श्री वैद्यनाथं सततं नमामि।

10.श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप विराजमान है। कहा जाता है कि यहां दारूक वन में निवास करने वाले दारूक दैत्य का संहार सुप्रिय नामक वैश्य ने भगवान् भोलेनाथ द्वारा प्रधान किए पाशुपतास्त्र से किया था। इसलिए इस स्थान को दारूकावन के नाम से भी जाना जाता है।

आपको बता दें कि कुछ लोग हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं और कुछ उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा ज़िले के जागेश्वर शिवलिंग को 10वा ज्योतिर्लिंग मानते है।

याम्ये सदंगे नगरेऽतिरम्ये, विभूषिताडं विविधैश्च भोगै:।
सद्भक्ति मुक्ति प्रदमीशमेकम्, श्री नागनाथं शरणं प्रपद्यै।।

11.श्रीरामेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह तीर्थ दक्षिण भारत के तमिलनाडु प्रदेश में स्तिथ है। इसे रामेश्वरतीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। शिव का यह दशम दिव्य ज्योतिर्लिंग चार धामों में से एक धाम है। कहते है कि हर व्यक्ति को जीवन में एक बार श्रीरामेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा ज़रूर करनी चाहिए।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान् श्री राम ने यहाँ अपने आराध्य भगवान् शिव की पूजा के लिए बालू का शिवलिंग बनाकर उनकी की आराधना की थी और उनसे राक्षसराज रावण पर विजय का वरदान माँगा था। यहां भगवान् श्री राम का भी लोकप्रसिद्ध विशाल मंदिर है।

श्री ताम्रपर्णीजलराशियोगे, निबध्य सेतु निधी बिल्वपत्रै:।
श्रीरामचंद्रेण समर्पितं तम्, रामेश्वराख्यं सततं नमामि।।

12.श्रीघृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र प्रांत में बेरूलठ गांव के पास विराजमान है शिवजी का यह 12वा ज्योतिर्लिंग। इसे घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू समुदाय के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग जी के सिर्फ दर्शन करने से वंशवृद्धि होकर मोक्ष की पूर्ण प्राप्ति होती है। इस दिव्य ज्योतिर्लिंग के निकट ही विश्वप्रसिद्ध अजंता-एलोरा की गुफाएं भी मौजूद है।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को एक बार देवों के देव महादेव जी के इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन श्रद्धापूर्वक ज़रूर करने चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य के सातों जन्म के पाप समाप्त हो जाते है और उसे पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इलापुरे रम्यशिवालये स्मिन्, समुल्लसंतम त्रिजगद्वरेण्यम्।
वंदेमहोदारतरस्वभावम्, सदाशिवं तं घृषणेश्वराख्यम्।।

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