रक्षा बंधन की जुडी कुछ पौराणिक कथाएं जिनमे दिखता है बंधन एक सूत का।
इतिहास के पन्नों में में राखी के महत्व के बहुत से उल्लेख मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने अपनी रक्षा हेतु मुगल राजा हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा-याचना की थी। हिन्द बादशाह हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी अपनी हिन्दू बहन की राखी की लाज रखी। और महारानी कर्मावती के शत्रुओं का खात्मा करके इतिहास में हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की एक नई तारीख लिखी।
राखी महज़ एक धागा नहीं है एक विशवास है, यकीन है एक बहन का एक भाई पे। ये पर्व किसी जात या धर्म तक सिमित नहीं है ये पर्व है इंसानियत का। ये पर्व है देश का,ये पर्व है अखंड भारत का।
भारत के साथ साथ एशिया महाद्वीप के सभी धर्मों के लोग इसे समान उत्साह से मनाते हैं। पूरे भारत में इस दिन का माहौल देखने लायक होता है और चूँकि इस बार ये पर्व स्वतंत्रता दिवस के साथ आया है तो देश में गेहमोगेहमी अलग ही होगी।
हिन्दू श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व भाई का बहन के प्रति प्यार और विश्वास का प्रतीक है। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों की दाहिनी कलाई में राखी बांधती हैं, उनका तिलक करती हैं और उनसे अपनी रक्षा का वचन भी लेती हैं।
हालांकि रक्षाबंधन की व्यापकता इससे भी कहीं ज्यादा है। आज राखी बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का सिर्फ रिश्ता मात्र नहीं रह गया है। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है।
रक्षा बंधन का ऐतिहासिक महत्व –
रक्षाबंधन हिंदू पुराण काल से मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार वामनावतार में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है। जिमे लिखा है कि जब राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्न किया, तो देवराज इंद्र ने भगवानश्री हरि से प्रार्थना की। तब श्री हरि ने वामन ब्राह्मण का भेष बनाकर राजा बलि से भिक्षा मांगी।
कहते है कि अपने गुरु के मना करने पर भी राजा बलि ने तीन पग भूमि वामन रूप श्री हरि को दान कर दी। और श्री ने फिर तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। जिसके बाद राजा ने अपनी भक्ति के बल पर श्री हरि से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया।जिससे लक्ष्मी जी बहुत ही चिंतित हो गई और राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनसे अपने संकट उभरने का वचन भी ले लिया।फिर क्या था लक्ष्मी जी ने अपने उपहार में श्री हरि को पुनः मांग लिया और रक्षा बंधन की एक नई मिसाल कायम की।
इतिहास के पन्नों में में राखी के महत्व के बहुत से उल्लेख मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने अपनी रक्षा हेतु मुगल राजा हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा-याचना की थी। हिन्द बादशाह हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी अपनी हिन्दू बहन की राखी की लाज रखी। और महारानी कर्मावती के शत्रुओं का खात्मा करके इतिहास में हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की एक नई तारीख लिखी।
एक अन्य कथा के अनुसार सिकंदर की पत्नी ने भी अपने पति के एक हिंदू शत्रु पुरु को राखी का धागा बांधकर उसे अपना भाई बनाया था और उससे वचन लिया था कि वे युद्ध के समय सिकंदर को न मारे। पुरु ने भी अपनी धर्म की बनी बहन की राखी की खूब इज़्ज़त राखी और युद्ध के दौरान अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए पुरु ने सिकंदर को ज़िंदा छोड़ दिया था।
महाभारत और राखी –
महाभारत कथा में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख मिलता है। कहते है कि जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।
दूसरी ओर शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी का पल्ला चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी। श्री कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर उनकी राकी का वचन निभाया था।
आज देश का यह पर्व हमारी संस्कृति की पहचान है दुनिया में जहाँ जहाँ भारतवासी बास्ते है इस त्योहार को गर्व से मनाते है। इस देश के आसमान में परिंदो के साथ उड़ती बहुत सी पतंगे भी दिखाई देती है। इस दिन बहन अपने भाई से कुछ नए वचन और संकल्प लेती है।
आजकल जिस तरह युवक सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है अधिकतर बहनें अपने भाई से रफ़्तार पर काबू और हेलमेट पहनकर वाहन चलाने का वचन लेती नज़र आ रही है। आपको बता दें कि आपकी ज़रा लापरवाही किसी बहन से उसे भाई चीन सकती है। इसलिए वाहन चलते समय सावधनी और बहन की राखी का वचन ज़रूर याद रखें।
दूसरी ओर आज देश में जिस तरह लिंग अनुपात की समस्या बढ़ती जा रही है हर हाथ की कलाई से राखी भी कहीं गम होती जा है। कुछ लोग बेटियां कोख में मारते जा रहे है तो कुछ पैदा करके कूड़े करकट के ढेर पर फेंकते जा रहे है। ये कुकर्म अगर इसी तरह बढ़ता रहा तो देश भी हो सकती है। इसलिए इस रक्षाबंधन हमारे साथ भ्रूण हत्या को रोकने और सावधानी बरतने का प्रण करें इससे शायद आपके इस एक कदम से किसी को बहन और किसी को भाई नसीब हो जाये।