अगर आप सामर्थ्यवान है तो दुराचार करने के पश्चात भी राफ़ साफ निकल सकते है क्योंकि यहाँ उत्तराखंड सरकार है?

सिस्टम का अजीबो-गरीब खेल लोक निर्माण विभाग देहरादून में एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा अपने पद और रसूख का इस्तेमाल करते हुए किस प्रकार से वह सिस्टम के साथ खेलता है और अपने ऊपर आरोपों की जांच कराने के लिए अपने कनिष्ठ अधिकारियों की टीम बनाकर कैसे अपने आप को राफ़ साफ साबित करता है यह देखने लायक है ।
सबसे बड़ा सवाल यह है जो सरकार सबका साथ सबका विकास और सब का विश्वास की बात करती है वह समाज में इस तरीके के आदर्श प्रस्तुत कर रही है।
सनद रहे लोक निर्माण विभाग एक ऐसा महत्वपूर्ण विभाग है जहां पर भ्रष्टाचार के अनंत संभावनाएं समाहित हैं जिसमे खास तौर पर उत्तरांचल जैसे प्रदेश तो सोने पर सुहागा जहां पर सड़कें बनती हैं परंतु पेपरों में और 6 महीने के अंदर है बारिश भू स्खलन में बह जाती हैं और उसका नजराना उच्च पदस्थ अधिकारियों की जेब से छन कर सिस्टम के सौजन्य से सरकार के मंत्रियो तक भी जाता है ।
इस सिस्टम प्रयोजित भ्रष्टाचार का आलम यह है की एक रसूखदार जो विशेष समुदाय से आता है और उच्च पदस्थ है जिसकी सिस्टम में अच्छी पकड़ है वह एक संविदा कर्मी का अनवरत शोषण करता है फिर जब इसकी शिकायत उसके कार्यालय में उस लड़की द्वारा की जाती है तो वह बख़ूबी सिस्टम को यूज कर के अपने कनिष्ठ कर्मचारियों की कमेटी बनाकर अपने आप को राफ़ साफ करने का स्वांग भी रच लेता है और येन केन प्रकारेण सफ़ल भी हो जाता है जबकि कमेटी उससे उच्च पदस्थ अधिकारियों की होनी चाहिए परंतु भाई उत्तराखण्ड में जो सिस्टम का खेल है वो तो जनता जनार्दन के लिए पूरी तरह फेल है।

वैसे भी सनातन धर्म के पथ-प्रदर्शक कवि तुलसीदास जी ने रामचरित्र मानस के बाल काण्ड में निम्न पंक्तियों का उल्लेख किया है..
समरथ को नहीं दोष गुसाईं ,रवि पावक सुरसरि की नाई । फिर तो बरिष्ठ अभियंता महोदय समर्थवान है । दोष तो केवल कमजोरों लोगों का है ।
हम आम जन ऐसी सरकारों से और ऐसे अधिकारियों से अपने आप को कैसे सुरक्षित करें जब अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की भी परवाह तक नहीं क्योंकि सामर्थ्य वान है।
लोक निर्माण विभाग देहरादून में सामने आए यौन उत्पीड़न प्रकरण में सच सामने आता नहीं दिख रहा है। अब इस मामले को प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग द्वारा अपने चहेते अधिकारी को बचाने और इस मामले को दबाने का बेहद ही बेहतरीन प्रयास किया गया है।
उक्त पीड़ित महिला द्वारा प्रमुख अभियंता को लिखित में शिकायत दी गयी थी जिसे प्रमुख अभियंता द्वारा जांच कमेटी को नहीं दिया गया साथ ही पीड़ित महिला को एक उच्च अधिकारी द्वारा मुंह बंद रखने और नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है।

आखिर सरकार जो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा लेकर गलियों गलियों में अपना प्रचार करती फिरती है उस सरकार के सिस्टम में सम्मिलित मंत्री अधिकारी क्या कर रहे हैं क्या ऐसे ही उत्तराखंड में महिलाओं का सम्मान करेंगे महिलाओं को बचाएंगे या जीन्स पहनने की सजा देंगे यौन शोषण से। आज लोक निर्माण विभाग देहरादून की ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसके कारण उक्त महिला को न्याय नही मिल पा रहा है क्योंकि आरोपी एक विशेष समुदाय से आता है । आज जब देहरादून प्रशासन अपने कृत्य से पूरे समाज को कलंकित करने का काम कर रहा है।