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किसान आंदोलन – 1 फरवरी 69वां दिन – आम बजट पर किसानों की प्रतिक्रिया।

प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में किसानों की आय को दुगुना एवं कृषि क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के लिए लक्षित किया गया है। हालांकि, किसानों की आय की कोई मौजूदा स्थिति या इससे संबंधित कोई आँकड़ा पेश नहीं किया गया।

मुख्य घोषणा

लगातार हो रहे अत्याचारों के, सीमाओं पर बैरिकेडिंग में वृद्धि, विरोध स्थलों पर इंटरनेट को निलंबित करना, किसान आंदोलन का समर्थन करने वालों व स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले ट्विटर अकाउंटों को निलंबित करना ,कृषि क्षेत्र के लिए बजट के आवंटन में कमी; इन सबके विरोध में 6 फरवरी को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक 3 घंटे के लिए चक्का जाम घोषित किया गया है।

  1. सभी मोर्चों पर जन भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है। टिकरी बॉर्डर पर 1 फरवरी को लगभग 1200 लोग ट्रेन से बहादुरगढ़ आए थे। गाजीपुर में लगभग 2 लाख लोग बैठे हैं।
  2. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 6 सदस्य कमिटी उन सभी की मदद करेगी जो अभी पुलिस द्वारा किसान आंदोलन के चलते गिरफ्तार किये गए हैं।
  3. गाजीपुर और सिंघू बॉर्डर पर बैरिकेड्स के बीच सीमेंट मिक्सचर डाला गया। टिकरी बॉर्डर पर सीमेंट की नुकीली कीलें डाला गया ।
  4. तीनों कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस के सांसद जसबीर सिंह गिल और गुरजीत सिंह औजला ने संसद में काले रंग का गाउन पहना।
  5. फिरोजपुर मुंबई पंजाब मेल 1 फरवरी की सुबह रोहतक से रेवाड़ी के लिए रवाना कर दिया गया, ताकि लगभग 1000 किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोका जा सके।
  6. गृह मंत्रालय ने दिल्ली के सीमावर्ती सिंघू, गाजीपुर और टिकरी में इंटरनेट के अस्थायी निलंबन को 2 फरवरी, 11 बजे तक बढ़ाया।
  7. पंजाब में गांवों ने सर्वसम्मति से प्रत्येक परिवार से एक सदस्य को प्रदर्शन में शामिल होने का फैसला एकमत पंचायत पत्र जारी करके किया है।
  8. किसान के साथ एकजुटता दिखाने के लिए हरियाणा के भाजपा नेता और पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया ने सत्तारूढ़ दल को छोड़ दिया।
  9. लोगों को किसानों के विरोध स्थलों पर जाने से रोकने के लिए सड़कों और गाड़ियों को रोकने और उन क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच को रोकने के अलावा, सरकार ट्विटर एकाउंट को बंद कर रही है। घोर विरोध के बाद लगभग सभी ट्विटर अकाउंट को वापस शुरू किया गया है।
  10. कथित तौर पर पुलिस के साथ “दुर्व्यवहार” करने के लिए मनदीप पुनिया और धर्मेंद्र सिंह, एक अन्य पत्रकार, को दिल्ली-हरियाणा सीमा से हिरासत में लिया गया था क्योंकि उन्होंने किसानों के कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ किसानों के सप्ताह भर के विरोध प्रदर्शन को कवर करने की कोशिश की थी। श्री सिंह को एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा कर दिया गया था, लेकिन श्री पुनिया अब 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में हैं।
  11. किसान आंदोलन के समर्थन में यूपी के बिजनौर में किसानों की महापंचायत में भारी भीड़ उमड़ी।
  12. दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है, जिसमें 26 जनवरी या उसके बाद और सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर सीमा के आसपास अवैध रूप से हिरासत में लिए गए किसानों सहित सभी लोगों को रिहा करने की मांग की गई है।
  13. दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी की घटनाओं के संदर्भ में विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार 120 लोगों की सूची जारी की है।
  14. किसान संगठन जय किसान आंदोलन, एलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (ASHA) और रायथू स्वराज्य वेदिका कृषि क्षेत्र पर बजट पूर्व और बाद के बजट का विश्लेषण करने के लिए एक साथ आए। विश्लेषण योगेंद्र यादव, अविक साहा, किरणकुमार विस्सा और कविता कुरुग्रंथी द्वारा किया गया।

किसानों के लिए बजट की वास्तविकता: –

  1. प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में किसानों की आय को दुगुना एवं कृषि क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के लिए लक्षित किया गया है। हालांकि, किसानों की आय की कोई मौजूदा स्थिति या इससे संबंधित कोई आँकड़ा पेश नहीं किया गया।
  2. कृषि और संबंधित क्षेत्र में बजट पिछले साल के 1.54 लाख करोड़ की तुलना में कम होकर इस बजट में 1.48 लाख करोड़ हो गया। शेयर कुल बजट के 5.1% से 4.3% तक नीचे चला गया है।
  3. पीएम किसान योजना, जो किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा अपनी ऐतिहासिक योजना के रूप में प्रचारित की जा रही है, जो योजना प्रत्येक किसान को 6,000 रु. देती है, उसका बजट 2020-21 में 75000 करोड़ से घटकर 2021-22 में 65000 करोड़ हो गया है।
  4. पीएम- आशा, एक ऐसी योजना, जिसका उद्देश्य एम•एस•पी• सुनिश्चित करना और खरीद में मदद करना है, इसका बजट 500 करोड़ रु. से घटाकर 400 करोड़ रु. कर दिया गया है।
  5. बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य समर्थन योजना (MIS-PSS) का मतलब कृषि उपज के अच्छे बाजार मूल्यों को आश्वस्त करना है, इसका बजट 2000 करोड़ रु. से घटाकर 1501 करोड़ रु. कर दिया गया है।
  6. एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए घोषित 1 लाख करोड़ के फंड में से, पिछले साल केवल 200 करोड़ रुपए इस संबंध में सरकार द्वारा खर्च किए गए थे और यह बजट 1 लाख करोड़ के इस घोषित फंड में से केवल 900 करोड़ के खर्च का प्रावधान करता है।
  7. मनरेगा का आवंटन, जो कोविड (COVID) संकट में एक जीवन रेखा साबित हुआ था, 1.15 लाख करोड़ से घटकर 73,000 करोड़ हो गया। बजट भाषण में इस बारे में कोई उल्लेख नहीं है।
  8. ब्याज सब्सिडी के लिए बजट को ₹ 21,175 करोड़ से घटाकर ₹19,468 करोड़ कर दिया गया है और दलहन के वितरण के लिए ₹ 800 करोड़ से ₹300 करोड़ कर दिया गया है।

आवंटन में कटौती:
• PM-KISAN – 75,000 करोड़ रु. से 65,000 करोड़ रु.
• PSS-MIS – 2000 करोड़ रु. से 1501 करोड़ रु.
• PM-AASHA – 500 करोड़ रु. से 400 करोड़ रु.
• ब्याज सब्सिडी – 21,175 करोड़ रु. से 19,468 करोड़ रु.
• दलहन का वितरण – 800 करोड़ रु. से 300 करोड़ रु.

इस वर्ष के लिए घोषित बजट को देखने के साथ यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष के बजट की घोषणाओं की तुलना में कितना खर्च किया गया था।

पिछले वर्ष में खर्च:
•कुल कृषि और संबद्ध बजट: ₹ 1,54,775 करोड़ में से केवल ₹145,355 करोड़ व्यय हुआ।
•प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना: ₹ 11,127 करोड़ में से केवल ₹ 7954 व्यय हुआ।
• “हरित क्रांति” योजना: ₹13,320 करोड़ में से केवल ₹ 10,474 करोड़ व्यय।
• MIS-PSS योजना: ₹ 2000 में से केवल ₹ 996 करोड़ व्यय हुआ।

केंद्रीय बजट में किसानों के साथ साथ आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं इस बजट में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है जिससे यह पता चले कि सरकार ने किसान व्आम आदमी के पीड़ा को नजदीक से महसूस करके बजट को पेश किया है। बजट में सरकारी सेवाओं में काम करने वाले लोगों की ही बहार है। बजट में किसान मजदूर,वकील, निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, प्राइवेट काम करने वाले लोगों के साथ साथ किसानों के लिए भी कुछ नहीं है।जो बजट देश के गरीब, किसान, नौजवानो के साथ साथ आम आदमी के पीड़ा को नजदीक से महसूस करने के बाद नहीं पेश किया गया हो तो सरकार के कुछ नितियों से सहमत होते हुए भी, आम जनता के लिए आत्मघाती बजट ही है।

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