बलिया के दुर्जनपुर कांड पर मीडिया की एकतरफा रिपोर्टिंग और बीजेपी विधायक का शर्मनाक बयान।
दुकान आवंटन, ठेकेदारी के लिए और व्यवसायिक अपराध में विवाद को एक विशेष जाति के आन बान शान की बात नहीं होती, कि एक अपराधिक घटना को जातिगत रंग दिया जाए।
एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपराध और अपराधी को कानून के नजरिए से देखें और वह ऐसी पहल करे जिससे कानून का राज स्थापित हो इसके उलट विधायक श्री सुरेंद्र सिंह का बयान जातिगत वैमनस्यता को बढ़ावा देने वाला है।
गत दिनों बलिया में दुकान आवंटन के विवाद में सीओ और एसडीएम की उपस्थिति में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी हत्या करने वाला शख्स धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ डब्लू सेना का एक रिटायर्ड जवान है और बैरिया विधायक श्री सुरेंद्र सिंह का करीबी आदमी है। भाजपा से विधायक पहले भी अपनी ऊलजलूल बयानों के लिए कुख्यात हैं अब इस घटना पर मीडिया की रिपोर्टिंग देखिए और विधायक का शर्मनाक बयान देखिए।
दुकान आवंटन के लिए दुर्जनपुर ग्राम सभा में खुली बैठक रखी गई थी और जहां जनता के मत से दुकान का आवंटन होना था। विपक्षी पक्ष जय प्रकाश पाल दुकान आवंटन के मामले में जीत हासिल कर लिया यह बात धीरेंद्र सिंह के लोगों को नागवार भी गुजरी।
मामला जो भी हो लेकिन जयप्रकाश पाल की तरफ से जीत का जश्न मनाते हुए हुटिंग चालू कर दी गई और अजय पाल और उनके साथियों द्वारा धीरेंद्र सिंह की ना केवल पिटाई की गई बल्कि उसके परिवार के लोगों की भी पिटाई की गई महिलाओं को पीटा गया लेकिन सीओ और एसडीएम मूकदर्शक बने देख रहे थे जैसे लग रहा था कि वह मैच के उद्घाटन में आए हुए हैं। यह कृत्य प्रदेश के कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
शुरू में ही वहां उपस्थित सीओ और एसडीएम त्वरित कार्यवाही किए होते तो शायद इतनी बड़ी घटना भी नहीं हुई होती।
इस बवाल में धीरेंद्र सिंह ने गोली चलाई और जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई सूचना यह भी है कि धीरेंद्र सिंह के परिजनों में से कई लोग गंभीर अवस्था में चिकित्सालय में भर्ती किए गए जहां उपचार के दौरान एक व्यक्ति की बनारस में मृत्यु भी हो गई है ।
किसी भी मेन स्ट्रीम मिडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात का कहीं जिक्र नहीं किया जा रहा है कि अजय पाल और उसके लोगों द्वारा धीरेंद्र सिंह के परिजनों की भी पिटाई की गई और शुरुआत मारपीट की उन्हीं लोगों ने की यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि उसने गोली चला दिया जिसमें अजय की मृत्यु हो गई।
इस घटना क्रम में वतर्मान विधायक श्री सुरेंद्र सिंह का बयान यह निहायत शर्मनाक है के क्षत्रिय पक्ष में खड़ा हूं उक्त प्रकरण की जांच चल रही है दोनों पक्ष के दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए इसे ही कानून का राज कहा जाता है अगर आत्म रक्षार्थ भी धीरेंद्र सिंह द्वारा गोली चलाई गई है तो भी इसको जातिगत रंग देना एक विधायक के लिए निहायत शर्मनाक बात है। विगत दिनों मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने हाथरस कांड के ऊपर शाजिश की बात कही थी ऐसे कृत्य कुछ अलग ही संकेत दे रहे हैं कि आखिर कौन लोग है जो कानून व्यवस्था को इतना लचर और बेसहारा बना दिए है जिससे इस प्रकार की घटनायें हम सब के सामने आ रही है। यह शोचनीय विषय है।
सनद रहे विधानसभा सदस्य जी 60 हजार से ऊपर मतों से सर्वजन के मत से जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है उसमें हर एक समुदाय हर एक वर्ग का वोट समाहित है। और अगर वह प्रतिनिधि किसी एक समुदाय और जाति की बात करके समाज को विभाजित करना चाहते है तो यह भारतीय लोकतंत्र व संविधान की गरिमा के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
वर्तमान विधान सभा सदस्य को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे कि समाज में समुदायों के बीच जाति संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो और यह कृत्य विधानसभा सदस्य का पूर्णतया निंदनीय है अगर विगत दिनों की ऑडियो रिकॉर्डिंग की बात सुने जो की आज की तारीख में वायरल है जिसमें इंसपेक्टर दुर्गा यादव के साथ आरोपी जिस प्रकार से और जिस भाषा के साथ बातचित कर रहा है गाली गलौज की भाषा शैली यह किसी भी तरह से कानून और विधि सम्मत नहीं है।
इस बीच क्षत्रिय से संबंधित जो भी बयान सुरेंद्र सिंह ने दिया है उसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए सुरेंद्र सिंह ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहां की अखिलेश यादव को शर्म करना चाहिए उनके राज्य में इसी बलिया में यादवों ने ठाकुरों की हत्या की थी इसका अर्थ यह है कि क्या बीजेपी के राज में ठाकुरों को हत्या करने की छूट होनी चाहिए ? दुकान आवंटन में विवाद ठेकेदारी में विवाद या कोई क्षत्रिय कुल के लिए आन बान शान की बात नहीं होती है कि इस प्रकार से जातिगत रंग दिया जाए
इस घटना के मद्देनजर जो लोग विधान सभा सदस्य श्री सुरेंद्र सिंह के इस बयान पर उनकी तारीफ कर रहे हैं मैं उन क्षत्रियों से पूछना चाहता हूं कि कितने लोग अपने बच्चों को हत्यारा बनाना चाहते हैं कितने ऐसे जनपद के ठाकुर हैं जो अपने बच्चों के हाथ में हथियार देखना चाहते हैं ?
यदि संवैधानिक पद पर बैठे हुए एक निर्वाचित व्यक्ति इसको जातिगत रंग देने की कोशिश करें तो निश्चित तौर पर यह समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है इस आधार पर सुरेंद्र सिंह का बयान निंदनीय और शर्मनाक है