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जिनायडू क्लासेस प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ सहित निवेशक के खिलाफ मारपीट और बदतमीजी करने का बेहद संगीन आरोप ?

नई दिल्ली:भारत का कॉर्पोरेट जगत जब दिब्यांग लोगों को प्रशिक्षण और नौकरी देने की पहल कर रहा है उसी समय पर कुछ ऐसे भी कारपोरेट हैं जो बहाना बना कर एक ही दिन में नौकरी से निकालते ही नहीं जबकि उनके साथ बदतमीजी पर भी उतर जाते हैं कुछ ऐसा ही प्रकरण दिल्ली एनसीआर के नोयडा में देखने को मिला है ( Zinedu Classes Pvt Ltd. – Apni Kaksha ) जिनायडू क्लासेस प्राइवेट लिमिटेड नामक संस्था के खिलाफ गंभीर शिकायत प्रकाश में आई है। शिकायत कर्ता का आरोप है कि उसको जबरन नौकरी से निकाला गया उसके साथ मारपीट की गई और दिव्यांग के नाम पर प्रताड़ित किया गया….जो की वो है भी नहीं।

जिनायडू क्लासेस प्राइवेट लिमिटेड ( Zinedu Classes Pvt Ltd. Apni Kaksha ) पर आरोप लगाने वाला खुद  व्यक्ति (IIM अहमदाबाद तथा IIT रुड़की )से शिक्षा प्राप्त हैं, इस व्यक्ति को ये कंपनी अपने गलत मंसूबे पूरे करने के लिए इसका शैक्षणिक बैकग्राउंड इस्तेमाल करने के लिए अपने अपने यहां नौकरी पर रखती हैं और जैसे ही कंपनी का काम स्ट्रीम लाइन होना शुरू होता है, कंपनी इस व्यक्ति को धक्के मार कर बाहर कर देती बल्कि उसके पैसे भी हड़प जाती हैं।

किसी भी कर्मचारी के लिए निलंबन या बर्खास्तगी शब्द बहुत ही कष्टप्रद होता है. जिसको सुनंने की कल्पना मात्र से ही बेरोजगारी का डर सताने लगता हैं. एक कर्मचारी की आजीविका उनके रोजगार द्वारा प्राप्त मासिक तनख़ाह पर निर्भर करता हैं और यदि वह आजीविका हटा जाती है तो सोचिये की क्या होगा। यह हो सकता है कि कुछ समय के लिए उनके सुखद जीवन में अंधेरा छा जाए परन्तु सारे नियम कानून होते हुए भी यह काम धड्ड्ले से भारत देश में चलता आ रहा है।

हालांकि, किसी भी कंपनी या संस्था द्वारा किसी भी कर्मचारी के निष्काषन के विभिन्न कारण हो सकते हैं मगर एक कम्पनी नियोक्ता द्वारा इस तरह का निर्णय लेने के लिए हमेशा उचित कारण होना चाहिए पर सौभाग्य से अभी तक हमारे देश भारत में हायर और फायर की अमंगलकारी नीति नहीं है, इसलिए भारत में बिना किसी पूर्व सूचना के किसी को भी रोजगार से निष्काषित नहीं किया जा सकता है. इसके लिए भी कुछ कानून निर्धारित है। जिसके अनुसार

कर्मचारी को नियोक्ता दवारा निकाल बाहर करने से पहले दंड विधान के तहत कुछ सिद्धांतों का अनुपालन करना होता है , और कुछ मामलों में भी मुआवजे का भुगतान भी करना होता है. किसी भी कर्मचारी को नौकरी से निकलने के लिए इंडियन लेबर लॉ का पालन करने की आवश्यकता होती है, अपितु अगर कोई नियोक्ता इस प्रकार से असंवैधानिक काम करता है तो उसका प्रबंधन वर्ग ही जिम्मेदार होता है।

किसी भी नियोक्ता दवारा किसी कर्मचारी को निकालने से पहले जो भी गलतियाँ कर्मचारी से तरफ से की गयी हों उसके लिए नियोक्ता के तरफ एक शो कॉज नोटिस देना एक अनिवार्य प्रकिया का हिस्सा है अगर फिर भी कर्मचारी जबाब नहीं देता है तो एक अनुशाशन समिति का गठन कर के उस कर्मचारी के ऊपर अपनी रोजगार की रक्षा करने का एक उचित मौका देने शामिल हैं. नेचुरल जस्टिस के प्रिंसिपल आफ लॉ को ध्यान में रखते हुए किसी भी कार्यवाही के लिए उचित तरीके से कदम उठाना चाहिए।

Statement with regard to Criminal Complaint filed by the Applicant in front of ACP Noida

इन विधिक प्रकरण का उल्लेख यहाँ इसलिए किया जा रहा है की नियोक्ता
( Zinedu Classes Pvt Ltd. – Apni Kaksha ) जिनायडू क्लासेस प्राइवेट लिमिटेड के यहॉ काम करने वाला पीड़ित युवक देश के सर्वोच्च प्रबंधन संस्थान से शिक्षा प्राप्त किया हुआ है तो इसलिए गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो ही नहीं सकता । और जब वय्वसायिक शिक्षा और प्रबंधन के क्षेत्र में पूरा विश्व जिसका लोहा मानता हो तब तो उसके उत्पाद गलत नहीं हो सकते!

( Zinedu Classes Pvt Ltd. – Apni Kaksha ) जिनायडू क्लासेस प्राइवेट लिमिटेड के निवेशक, प्रबंध निदेशक, ब्रांड एम्बेस्डर व मशहूर YouTuber, मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित तमाम लोग जो संस्था से जुड़े हुए है उनको किसी भी उच्च शिक्षित पेशेवर के साथ बदतमीजी मारपीट जैसे कृत्य कत्तई भी शोभा नहीं देते।

वैसे भी किसी भी संस्थान को सामान्य व्यक्ति के ऊपर आरोप लगाना अपमानित करना मानवाधिकार के तहत गलत है। पीड़ित किसी भी रूप से दिव्यांग नहीं हैं, स्वस्थ है तथा शारीरिक व् मानसिक रूप से अपने कार्य को करने में सक्षम है।

कॉर्पोरटे और स्टार्टअप सहित सभी नियोक्ता को यह सोचना चहिये कि समाज के निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति तक आपकी सुविधाएं पहुंचे तथा कोई भी नियोक्ता किसी भी कर्मचारी का शोषण न करें और उसके पारिश्रमिक का पैसा मार दें ये हनन है हायर और फायर का प्रबंधन भारत देश में तो नहीं है और यह घृणित कृत्य लेबर लॉ का और मानवाधिकार का उल्लंघन है।

महीनों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहा ये व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा हेतू कहा जाये ??  इसको न्याय कैसे मिले ? यह विषय यह सोचने पर विवश करता है की देश प्रदेश में लॉ एंड आर्डर है भी या नहीं क्या ये संस्थान बड़े सफेदपोश और नेेेताओ का अड्डा है !

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