चार सालों में सिर्फ महाराष्ट्र में ही 12 हज़ार से भी अधिक किसान आत्महत्या करने को हुए मजबूर !!!
पता चला है कि साल 2014 से 2018 महाराष्ट्र में 12,021 किसानों ने आत्महत्या की है हैरानी की बात यह है कि 6,888 किसान सरकारी मदद पाने के योग्य थे
साल 2014 में सत्ता में पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ कदम रखने से पहले ही भाजपा मंत्री और देश के प्रधान-मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों और जनता से बड़े बड़े शब्दों में कहा था कि उनकी सरकार इस देश के किसान को ना भूखा मरने देगी और ना ही आत्महत्या करने देगी। लेकिन सत्ता में आने के बाद कहानी कुछ बदल सी गयी है।
हाल ही ख़बरों की सुर्ख़ियों से पता चला है कि साल 2014 से 2018 तक सिर्फ महाराष्ट्र राज्य में ही लगभग 12,021 किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हुए है। मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सहकारिता एवं पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने कुछ दिन पहले ही विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है।
एक रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि साल 2014 से 2018 महाराष्ट्र में 12,021 किसानों ने आत्महत्या की है हैरानी की बात यह है कि 6,888 किसान सरकारी मदद पाने के योग्य थे। ये अलग बात है कि आत्महत्या के बाद अब तक 6,845 किसानों के परिवारों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दे दी गयी है।
राज्य के सहकारिता एवं पुनर्वास मंत्री ने अपने ब्यान में बताया है कि साल 2019 के पहले तीन महीनों के बीच 610 किसानों ने आत्महत्या की है।
आपको बता दें कि जिलास्तरीय समिति की छानबीन से सामने आया है कि इन 610 किसानों में भी 192 किसान आर्थिक सहायता के हक़दार थे। इस छानबीन के बाद राज्य के 182 किसान परिवारों को सरकार द्वारा एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रधान की है। जबकि बाकी बचे हुए मामलों की जांच अभी की जा रही है।
पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने अपने कहा है कि सरकार अपना वादा ज़रूर निभाएगी और किसानों की कर्ज माफी ज़रूर की जाएगी। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे आत्महत्या जैसे कदम ना उठायें। उन्होंने कहा कि वे भी एक किसान है और विश्वास दिलाते है कि सरकार हर मुश्किल की घडी में उनके साथ है इसलिए वे आत्महत्या नहीं करें।
अपने ब्यान में उन्होंने अपील की है कि ‘यह सच है कि राज्य में कृषि संकट है. अभी तक 19,000 करोड़ रुपये किसानों के खातों में स्थानांतरित कर दिए गए हैं. बाकी बचे लोगों को भी आने वाले हफ्तों में कर्जमाफी का लाभ मिलेगा. इसलिए वे अपने दिमाग में आत्महत्या करने का विचार न लाए. यह कठिन समय है क्योंकि अब तक बारिश नहीं हुई है.’
आपको बता दें कि किसानों के लागातर आत्महत्या करने के कईं कारण बताये जा रहे है लगातार फसलों का खराब होना, सिंचाई के पानी कम होना लगातार बढ़ रही सूखे की मार आदि वैसे भी एक रिपोर्ट में बताया गया है की इस साल मानसूनी बारिशों में भारी मात्रा में गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसे में देश के किसानों के पास कोई रास्ता नहीं है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक किसानों की मांगो को पूरा करती है।